वृहदारण्यक उपनिषद वाक्य
उच्चारण: [ verihedaarenyek upenised ]
उदाहरण वाक्य
- वृहदारण्यक उपनिषद में आनंद एकमात्र स्थान उपस्थ है।
- 50 वृहदारण्यक उपनिषद में भी यही शब्द है।
- वृहदारण्यक उपनिषद. गोरखपुर: गीताप्रेस.
- ↑ वृहदारण्यक उपनिषद भाष्य-शंकर-2।4।12
- वृहदारण्यक उपनिषद में तो वृक्ष को मनुष्य जैसा बताया गया है।
- रक्त की शुद्धता और त्वचा की शुभ्रता की विदेशी अवधारणा की तुलना जब वृहदारण्यक उपनिषद के
- * “अध्याय २, ब्राह्मण १, वर्ग १” (हिन्दी में). वृहदारण्यक उपनिषद. गोरखपुर: गीताप्रेस.
- वृहदारण्यक उपनिषद और महाभारत मे भी यह वाक्य आता है “ यतो धर्मस्ततो जय: ”....
- वृहदारण्यक उपनिषद और ऐतरेय ब्राrाण में भी इसके संदर्भ मिलते हैं, जो सर्प के अर्थ में प्रयोग किए गए हैं।
- रक्त की शुद्धता और त्वचा की शुभ्रता की विदेशी अवधारणा की तुलना जब वृहदारण्यक उपनिषद के Content से करते हैं तो और स्पष्टीकरण होता है।
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